मुंबई. इंडियन फिल्मों में योगदान के लिए मनोज कुमार को दादा साहब फाल्के दिया जाएगा। शुक्रवार को इसका एलान किया गया। पांच जूरी मेंबर्स लता मंगेशकर, आशा भोसले, सलीम खान, नितिन मुकेश और अनूप जलोटा ने 47th दादा साहब फाल्के अवॉर्ड के लिए इस वेटरन एक्टर का नाम सुझाया है। इसके बाद अरुण जेटली ने उनसे बात की और अवॉर्ड के लिए बधाई दी।देशभक्ति फिल्मों के कारण कहा जाता है भारत कुमार...
- दादा साहब फाल्के अवॉर्ड के तहत मनोज कुमार को स्वर्ण कमल के साथ-साथ 10 लाख रुपए की राशि और शाॅल भी दिया जाएगा।
- मनोज कुमार को उनकी देशभक्ति फिल्मों के कारण 'भारत कुमार' के नाम से भी जाना जाता है।
- उन्होंने हरियाली और रास्ता, हिमालय की गोद में, उपकार, पूरब और पश्चिम, रोटी कपड़ा और मकान और क्रांति जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया है।
- मनोज कुमार को उनकी देशभक्ति फिल्मों के कारण 'भारत कुमार' के नाम से भी जाना जाता है।
- उन्होंने हरियाली और रास्ता, हिमालय की गोद में, उपकार, पूरब और पश्चिम, रोटी कपड़ा और मकान और क्रांति जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया है।
'कांच की गुड़िया' में मिला था पहला लीड रोल
- 78 साल के हो चुके मनोज कुमार ने अपने करियर में कई सुपरहिट फिल्में दी हैं।
- 1937 को एबटाबाद में जन्मे मनोज कुमार 1960 में पहली बार फिल्म 'कांच की गुड़िया' में लीड रोल में नजर आए थे।
- इसी दशक में उन्होंने 'पत्थर के सनम', 'साजन', 'सावन की घटा', 'पहचान' और 'आदमी' जैसी कई फिल्में की।
- 1965 में जब उन्होंने 'शहीद' की, तभी से उनकी लोगों के दिलों में उनकी हीरो की इमेज बन गई।
- 'उपकार' के लिए मनोज कुमार को नेशनल अवॉर्ड दिया गया था।
- 1992 में भारत सरकार ने उन्हें देश का चौथा सबसे बड़ा सम्मान पद्मश्री दिया।
- 1937 को एबटाबाद में जन्मे मनोज कुमार 1960 में पहली बार फिल्म 'कांच की गुड़िया' में लीड रोल में नजर आए थे।
- इसी दशक में उन्होंने 'पत्थर के सनम', 'साजन', 'सावन की घटा', 'पहचान' और 'आदमी' जैसी कई फिल्में की।
- 1965 में जब उन्होंने 'शहीद' की, तभी से उनकी लोगों के दिलों में उनकी हीरो की इमेज बन गई।
- 'उपकार' के लिए मनोज कुमार को नेशनल अवॉर्ड दिया गया था।
- 1992 में भारत सरकार ने उन्हें देश का चौथा सबसे बड़ा सम्मान पद्मश्री दिया।
Post a Comment