कैथल : केंद्रीय राजस्व गुप्तचर निदेशालय ने सर्वोच्च न्यायालय की कालेधन को लेकर गठित एसआईटी को रिपोर्ट की है कि करीब 2 लाख टन बासमती चावल ईरान के लिए निर्यात किया जाना था, उसे बीच समुद्र से ही उसे दुबई पहुंचा दिया गया है। निदेशालय को आशंका है कि यह घोटाला 1000 करोड़ से अधिक का हो सकता है। जांच का मुख्य पहलू यह भी है कि इतनी बड़ी रकम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्लैक मनी से तो नहीं जुड़ी।
आशंका जताई जा रही है कि देश के सबसे बड़े चावल निर्यातक राज्यों पंजाब एवं हरियाणा के कई बड़े चावल निर्यातक इस स्कैम में शामिल हैं। बीते साल के दौरान बड़ी मिलीभगत के चलते यह घोटाला किया गया है। निदेशालय के सूत्रों के अनुसार दोनों राज्यों के 26 चावल निर्यातकों के कारोबार की उच्चस्तर पर जांच जारी है। पता चला है कि करनाल जिले के कुछ निर्यातकों का रिकार्ड खंगाला जा चुका है। पंजाब में करीब 2500 तथा हरियाणा 900 के करीब राईस मिल्ज हैं।
सूत्रों के अनुसार गुजरात की कांडला स्थित बंदरगाह से निर्यातकों द्वारा यह चावल विदेशों में भेजा जाता रहा। कस्टम अधिकारियों के समक्ष बिल पेश किए गए जिनमें समूचे माल का निर्यात ईरान को किए जाने की बात कही गई थी। कारगो शिप-ऑपरेटरज के साथ मिलकर निर्यात किए गए इस चावल को दुबई भेज दिया गया। बता दें कि भारत के चावल निर्यातकों को ईरान से अदायगी की गई है। पोर्ट पर कार्यरत अधिकारियों व आयात करने वाले व्यापारियों ने आपसी मिलकर उक्त राशि के भुगतान का मार्ग प्रशस्त किया है। वहां पहुंचे चावल की रसीद भी भेजी है।
देश की गुप्तचर जांच एजेंसियों की चिंता यह है कि इतनी बड़ी खेप की आखिर खपत कहां हुई है। आशंका जताई गई है कि कहीं वस्तु विनियम, सामान को अवैध कारोबार या आतंक के लिए प्रयोग न किया गया हो। केंद्रीय राजस्व गुप्तचर निदेशालय ने दुबई स्थित उच्चाधिकारियों से इस बारे में सम्पर्क किया है कि आखिर कैसे यह चावल ईरान की जगह दुबई में भेज दिया गया। इस सम्बंध में ऑल इंडिया राईस मिलरज एसोसिएशन के उपाध्यक्ष जगदीश गोयल ने सम्पर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि डीआरआई द्वारा जांच की जा रही है। कुछ मिलों का रिकार्ड देखा गया है। जांच के अधीन कैथल जिले की कोई राइसमिल या निर्यातक नहीं है।
आशंका जताई जा रही है कि देश के सबसे बड़े चावल निर्यातक राज्यों पंजाब एवं हरियाणा के कई बड़े चावल निर्यातक इस स्कैम में शामिल हैं। बीते साल के दौरान बड़ी मिलीभगत के चलते यह घोटाला किया गया है। निदेशालय के सूत्रों के अनुसार दोनों राज्यों के 26 चावल निर्यातकों के कारोबार की उच्चस्तर पर जांच जारी है। पता चला है कि करनाल जिले के कुछ निर्यातकों का रिकार्ड खंगाला जा चुका है। पंजाब में करीब 2500 तथा हरियाणा 900 के करीब राईस मिल्ज हैं।
सूत्रों के अनुसार गुजरात की कांडला स्थित बंदरगाह से निर्यातकों द्वारा यह चावल विदेशों में भेजा जाता रहा। कस्टम अधिकारियों के समक्ष बिल पेश किए गए जिनमें समूचे माल का निर्यात ईरान को किए जाने की बात कही गई थी। कारगो शिप-ऑपरेटरज के साथ मिलकर निर्यात किए गए इस चावल को दुबई भेज दिया गया। बता दें कि भारत के चावल निर्यातकों को ईरान से अदायगी की गई है। पोर्ट पर कार्यरत अधिकारियों व आयात करने वाले व्यापारियों ने आपसी मिलकर उक्त राशि के भुगतान का मार्ग प्रशस्त किया है। वहां पहुंचे चावल की रसीद भी भेजी है।
देश की गुप्तचर जांच एजेंसियों की चिंता यह है कि इतनी बड़ी खेप की आखिर खपत कहां हुई है। आशंका जताई गई है कि कहीं वस्तु विनियम, सामान को अवैध कारोबार या आतंक के लिए प्रयोग न किया गया हो। केंद्रीय राजस्व गुप्तचर निदेशालय ने दुबई स्थित उच्चाधिकारियों से इस बारे में सम्पर्क किया है कि आखिर कैसे यह चावल ईरान की जगह दुबई में भेज दिया गया। इस सम्बंध में ऑल इंडिया राईस मिलरज एसोसिएशन के उपाध्यक्ष जगदीश गोयल ने सम्पर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि डीआरआई द्वारा जांच की जा रही है। कुछ मिलों का रिकार्ड देखा गया है। जांच के अधीन कैथल जिले की कोई राइसमिल या निर्यातक नहीं है।
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