नोएडा एनसीआर में आवास के लिए कम पड़ती जमीन के चलते ग्रेटर नोएडा में अब सिर्फ बहुमंजिला इमारतों का ही निर्माण हो सकेगा। कम ऊंचाई वाले मकानों का निर्माण करने के लिए प्राधिकरण अब भूखंड आवंटित नहीं करेगा। अब सिर्फ बहुमंजिली इमारतों के निर्माण के लिए ही जमीन आवंटित की जाएगी।
इस पर फ्लैटों का निर्माण होगा। इसका फायदा यह होगा कि कम जमीन पर अधिक लोगों को आवास उपलब्ध हो सकेंगे। एनसीआर प्लानिंग बोर्ड ने इस संबंध में प्राधिकरण को कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उल्लेखनीय है कि एनसीआर में रोजगार की संभावनाओं के चलते लोग यहां अपना आशियाना बनाने की चाहत रखते हैं।
इससे दिल्ली और आसपास
के शहरों में लगातार आबादी बढ़ रही है। बेहतर पर्यावरण, पेयजल आपूर्ति, चौड़ी सड़कें, घनी हरियाली और ढांचागत सुविधाओं के मामले में ग्रेटर नोएडा एनसीआर के अन्य शहरों से काफी बेहतर है। इससे यह शहर आशियाना बनाने के लिए लोगों की पहली पंसद बन रहा है।
प्रथम फेस में ग्रेटर नोएडा करीब 54 हजार हैक्टेयर भूमि पर बसाया जा रहा है। इसमें से 22.5 फीसद जमीन आवासीय के लिए आरक्षित है। करीब 15 फीसद जमीन पर प्राधिकरण अब तक आवासीय योजना निकाल चुका है। आवास के लिए प्राधिकरण के पास कुल क्षेत्रफल में से मात्र 7.5 फीसद जमीन ही बची है।
पूर्व में प्राधिकरण का जोर व्यक्तिगत भूखंडों की आवासीय योजनाओं पर रहा है। करीब 30 सेक्टर शहर में ऐसे बसाए गए हैं, जिनमें व्यक्तिगत भूखंड हैं। हालांकि, ग्रेटर नोएडा वेस्ट के चार सेक्टरों में बहुमंजिला इमारतों के लिए ही जमीन आवंटित की गई है। इससे ग्रेटर नोएडा की आबादी भी लगातार बढ़ रही है।
प्राधिकरण ने कुछ दिन पूर्व मास्टर प्लान में संशोधन का एक प्रस्ताव एनसीआर प्लानिंग बोर्ड को भेजा था। बोर्ड ने एनसीआर की बढ़ती आबादी के मद्देनजर प्राधिकरण को मास्टर प्लान में यह प्रावधान करने का निर्देश दिया कि भविष्य में आवास के लिए सिर्फ बहुमंजिला इमारतों का ही निर्माण हो।
इससे कम जगह में अधिक लोगों को आवास उपलब्ध हो सकेंगे। प्राधिकरण को स्पष्ट निर्देश दे दिए गए हैं कि भविष्य में व्यक्तिगत आवासीय भूखंडों की योजना न निकाली जाए, यानि अब ग्रेटर नोएडा में बहुमंजिला इमारतें ही नजर आएंगी।
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