आरक्षण आंदोलन के बाद कैप्टन पहली बार हिसार अाए थे।
रोहतक कोठी के साथ कैप्टन का भावनात्मक लगाव है। दरअसल, इस कोठी को उनके पिता चौधरी मित्रसैन सिंधु ने खुद अपनी देखरेख में बनवाया था। करीब तीन साल तक कोठी का निर्माण कार्य चला था। इससे पहले वह रोहतक के मॉडल टाउन इलाके में रहते थे। इस कोठी में कैप्टन और उनके भाइयों का परिवार करीब दो दशक से रह रहा था। बताते हैं कि जिस वक्त उपद्रवियों ने कोठी पर हमला किया, तब परिवार के कई सदस्य मौजूद थे। उन्हें बड़ी मुश्किल से सुरक्षित जगह पहुंचाया गया था।
सूत्रों के अनुसार भले ही उपद्रवियों ने कैप्टन की कोठी को तोड़फोड़ और आग लगाकर खंडहर बना दिया है, मगर जले हुए सामान में डीवीआर मिल गया है। इस कोठी के बाहरी और भीतरी हिस्सा सीसीटीवी कैमरों की जद में था। उपद्रवियों ने डीवीआर को भी तोड़ा हुआ है, मगर उसकी रिकॉर्डिंग के रिकवर होने की पूरी संभावना है। उस डीवीआर को दिल्ली भेजा जाएगा ताकि उपद्रवियों के चेहरों का खुलासा किया जा सके।
कोठी में एक बार नहीं, बल्कि कई बार आग लगाई गई। इससे उसकी दीवारें और छत क्षतिग्रस्त हो चुकी है। खिड़की-दरवाजे तहस-नहस किए जा चुके हैं। अब इसकी जांच हो रही है कि क्या कोठी की दीवारें और छत मजबूत है या नहीं। अंतिम जांच बाकी है।
रोहतक में वित्तमंत्री की कोठी में आगजनी की जांच के लिए गठित एसआईटी में शामिल डीएसपी ढांडा ने कहा है कि उनकी रोहतक के एसपी से बात हुई है। उनके साथ दो और इंस्पेक्टर जाएंगे। जैसा रोहतक एसपी का आदेश होगा, जांच करेंगे।
आरक्षण आंदोलन की प्रतिक्रिया में पिछले सप्ताह शहर की सड़कों पर उतरे लोगों पर डीएसपी ढांडा की कार्रवाई को लेकर सवाल उठे थे। टिब्बा दानाशेर के लोगों का आरोप था कि ढांडा और उनकी टीम ने घरों में घुसकर तोड़फोड़ की।
Post a Comment