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सियाचिन में जान गंवाने वाले बहादुर शहीद हनुमंथप्पा कोप्पाड की पत्नी महादेवी अशोक बिलेबल की ख्वाहिश है कि जब उसकी एकमात्र बेटी बड़ी हो जाए तो वह भारतीय सेना में शामिल हो। सियाचिन ग्लेश्यिर पर छह दिनों तक 30 फुट बर्फ
के नीचे दबे रहने के बाद 33 वर्षीय लांस नायक हनुमंथप्पा को जीवित निकाला गया था हालांकि उनका 11 फरवरी को निधन हो गया। गुरुवार को यहां जवान की मां बसम्मा को सम्मानित किये जाने के मौके पर उनके साथ मौजूद रही हनुमंथप्पा की विधवा पत्नी ने कहा, ‘‘मेरा बेटा नहीं है लेकिन मुझे कोई पछतावा नहीं है क्योंकि मेरी एक प्यारी बेटी है। और मेरी एक ख्वाहिश है कि उसका एक मजबूत भारतीय के रूप में पालन-पोषण करूं जो बड़ी होने पर भारतीय सेना में शामिल हो। यह उसके बहादुर पिता को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।’’
इस अवसर पर हनुमंथप्पा का भाई शंकर गौड़ा भी मौजूद था। इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री नितिन गड़करी की पत्नी कंचन ने जवान के परिवार को एक लाख रूपये का चेक प्रदान किया। इस महीने के शुरूआत में उत्तरी कर्नाटक के धारवाड जिले में बेटादुर के हनुमंथप्पा के पैतृक गांव में उन्हें हजारों लोगों ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी जिसके बाद पूरे राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गयी। शहीद के सम्मान में भाजपा की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और युवा जागरण मंच ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर एबीवीपी के राष्ट्रीय संगठन सचिव, शहर के मेयर प्रवीण दतके, सेवानिवृत्त कर्नल सुनील देशपांडे भी मौजूद थे।

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